नई दिल्ली. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की गाइडलाइंस और फाइनल ईयर की परीक्षा (Final year exam) को लेकर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) में सुनवाई होगी. देश के 13 राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश से 31 स्टूडेंट्स ने मिलकर 27 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लगाई थीं. आज उन्हीं पर कोर्ट सुनवाई करेगा. छात्रों ने यह भी मांग की थी कि छात्रों की मार्कशीट 31 जुलाई से पहले जारी की जाए.
आपको बता दें सर्कुलर 6 जुलाई को जारी किया गया था. जिसमें सभी यूनिवर्सिटीज से 30 सितंबर तक परीक्षा खत्म करने के लिए कहा गया था. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने अपने सर्कुलर में कहा था कि फाइनल की परीक्षा आयोजित करना अनिवार्य है. बिना परीक्षा डिग्री नहीं दे सकते. बिना परीक्षा डिग्री देने से भविष्य में डिग्री पर सवाल खड़े हो सकते हैं साथ ही विद्यार्थियों को कई परेशानियों का सामना भी करना पड़ सकता हैं. लेकिन देश भर के लाखों विद्यार्थी यूजीसी के इस फैसले के खिलाफ है.
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जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट की बेंच के समक्ष इस मामले को लेकर आज सुनवाई होगी. यूजीसी द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, देशभर में 818 यूनिवर्सिटीज में से 209 फाइनल ईयर एग्जाम्स हो चुके हैं. जबकि 394 अगस्त या सितंबर में ऑनलाइन/ऑफलाइन/ब्लेंडेड मोड पर परीक्षाएं कराने की योजना बना रहे हैं. इसके अलावा 35 यूनिवर्सिटीज ऐसी हैं जहां का पहला बैच अभी फाइनल ईयर में नहीं पहुंचा है.
याचिका दायर करने वाले छात्रों में से एक छात्र का कहना है कि यूजीसी को सीबीएसई मॉडल को अपनाना चाहिए और विद्यार्थियों को पिछली परीक्षाओं में उनकी परफॉर्मेंस और इंटरनल असेसमेंट के आधार पर अंक देकर रिजल्ट जारी किया जाए और डिग्रियां दी जाएं. बाद में उन छात्रों के लिए परीक्षा करवाई जानी चाहिए जो लोग अपने अभी के रिजल्ट से संतुष्ट नहीं हैं. याचिका में कहा गया है कि परीक्षा छात्रों के हित में कैंसिल की जानी चाहिए क्योंकि कोविड-19 के मामले लगातार बढ़ रहे हैं.
बता दें महाराष्ट्र, दिल्ली, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र, ओडिशा, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल की सरकारें अपने क्षेत्राधिकार के अंतर्गत आने वाले विश्वविद्यालयों में सभी परीक्षाएं रद्द कर चुकी है. इसी बात को लेकर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने शुक्रवार को बंबई हाईकोर्ट में कहा था कि राज्यों को परीक्षा कैंसिल करने का अधिकार नहीं है.