Jaipur: राजस्थान में बसपा(BSP) के 6 विधायकों के कांग्रेस में विलय को चुनौती देने वाली भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के विधायक मदन दिलावर की याचिका पर राजस्थान हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. बुधवार को मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बसपा महसचिव सतीश मिश्रा से पूछा कि 6 माह बाद ये याचिक क्यों दायर की गई है? बता दें कि बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय के खिलाफ भाजपा विधायक मदन दिलावर व बसपा की तरफ से राष्ट्रीय महासचिव सतीश मिश्रा ने याचिका दायर की है.
बुधवार को जस्टिस महेंद्र कुमार गोयल की कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान भाजपा विधायक मदन दिलावर की तरफ से वकील हरीश साल्वे ने कहा कि बीएसपी विधायकों का विलय पूरी तरह अमान्य है. ये नियम के खिलाफ है. बीएसपी एक राष्ट्रीय पार्टी है, उसका राज्य स्तर पर विलय कैसे मंजूर? इस बाबत कोर्ट ने हाल ही में खारिज हुए इसी से सम्बंधित एक याचिका को लेकर वकील साल्वे से पूछा कि आपकी याचिका तकनीकी आधार पर 28 जुलाई को खारिज हुई है. केस में अभी कोई मेरिट नहीं है.
बता दें कि इससे पहले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के विधायक मदन दिलावर की इसी मामले से सम्बंधित एक याचिका को हाई कोर्ट ने सोमवार को खारिज कर दिया था. साथ ही कोर्ट ने तब पक्षकार बनने की बसपा(BSP) की याचिका को भी ख़ारिज कर दिया था. जिसके बाद बीजेपी विधायक दिलावर ने फिर से इस मामले में एक नयी याचिका कोर्ट में दाखिल की थी.
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अभी फ़िलहाल इस मामले की सुनवाई टाल दी गई है. गुरुवार दोपहर 2 बजे फिर से इस मामले पर सुनवाई होगी. उल्लेखनीय है कि हाल ही में बसपा(BSP) सुप्रीमो मायावती ने कहा था कि पार्टी विधायकों के विलय को लेकर बीएसपी पहले भी कोर्ट जा सकती थी, लेकिन हम उस समय का इंतजार कर रहे थे, जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस को सबक सिखाया जा सके. मायावती ने कहा था कि अगर जरूरत पड़ा तो वो इसके लिए सुप्रीम कोर्ट भी जायेंगी.
गौरतलब है कि बसपा विधायक लखन सिंह (करौली), राजेन्द्र सिंह गुढ़ा (उदयपुरवाटी), दीपचंद खेड़िया (किशनगढ़ बास), जोगेन्दर सिंह अवाना (नदबई), संदीप कुमार (तिजारा) और वाजिब अली (नगर, भरतपुर) ने महीनों पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत में आस्था जताते हुए कांग्रेस का दामन लिया था. हालाँकि यह कोई पहला मौका नहीं है. इससे पहले 2008 में भी इसी तरह बसपा के छह विधायकों ने कांग्रेस का दामन थाम लिया था.