तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल के चुनावी नतीजों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का मनोबल बढ़ा दिया है।वह दोबारा वापसी के इस ट्रेंड को अपने लिए सकारात्मक संकेत के रूप में देखने लगे हैं। ऐसे में कार्यकर्ताओं तक को स्पष्ट निर्देश है कि पूरी तरह आक्रामक रहें। भाजपा विकास की बात करे तो राज्य सरकार के विकास कार्यो के आंकड़ों को ज्यादा दम के साथ रखें और तुष्टीकरण की बात करे तो अयोध्या, मथुरा और चित्रकूट-काशी की झलक दिखाएं। संभव है कि अगले कुछ दिन में सपा की ओर से आक्रामक चुनाव अभियान की शुरुआत हो।
वैसे इस बार अखिलेश हेलीकॉप्टर और साइकिल के जरिये ही नहीं, समाजवादी रथ पर सवार होकर भी वोट मांगने निकलेंगे। उनका रथ बनकर लगभग तैयार है। सपा में चुनावी अभियान की रूपरेखा को अंतिम रूप देने की कवायद शुरू हो गई है। यह तीन स्तर पर होगा। खुद मुख्यमंत्री विकास पर केंद्रित रहेंगे। पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव सामाजिक समीकरण को ध्यान में रखेंगे। दूसरी-तीसरी पंक्ति के नेता व कार्यकर्ता भाजपा, बसपा व कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोलेंगे। तुष्टीकरण का मुद्दा उठा तो बताया जाएगा कि अयोध्या, मथुरा, काशी और चित्रकूट भी एजेंडे में है। मथुरा, काशी और लखनऊ में रिवर फ्रंट बन रहा है, तो चित्रकूट और अयोध्या में सत्संग भवन बनवाया जा रहा है।
अखिलेश ने सभी धार्मिक स्थलों पर चौबीस घंटे बिजली आपूर्ति के निर्देश पहले ही दे दिए हैं। जाहिर है कि पार्टी इस बार अपने उस वोट बैंक को दुरुस्त रखना चाहती है जो हिंदुत्व के मुद्दे पर टूट सकता है। कानून, व्यवस्था की बात उठी तो दिल्ली का उदाहरण पेश किया जाएगा और विकास के मुद्दे पर परियोजनाएं गिनाई जाएंगी। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की ओर से लड़ाई सपा से बताई गई है, लेकिन सपा ध्यान रखेगी कि मुकाबला दो दलों के बीच न बताया जाए।