हंसना मानव का अदभुत मानवीय गुण है। पशु-पक्षियों में यह गुण देखने को नहीं मिलता। हंसने से शरीर हल्का तथा मन प्रफुल्लित रहता है, समाज में प्रेम, आत्मीयता, सद्भाव और प्रसन्नता का संचार होता है बशर्ते आपकी हंसी सरल एवं स्वाभाविक होनी चाहिए। इस बात ध्यान रखें कि किसी व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक और आर्थिक कमजोरी को लक्ष्य बनाकर न हंसे।तनाव से मुक्तिः आज के भाई भतीजावाद, भ्रष्टाचार, हिंसा और महंगाई के युग में मनुष्य खुद को तनावों से घिरा हुआ पाता है। फलतः वह हृदय रोग, माइग्रेन, अनिद्रा, उच्च रक्तचाप जैसे खतरनाक रोगों का शिकार हो जाता है। अतएव जीवन को तनावमुक्त रखने एवं रोगों से बचने के लिये हंसने में कंजूसी न करें। जब आपका बच्चा कार्टून फिल्म या चुटकुला पढ़कर हंसता है तो उसे डांटें नहीं। हंसमुख एवं प्रश्नचित बच्चों का मानसिक विकास कुढ़ते, चिड़चिड़े एवं गुमसुम रहने वाले बच्चों की अपेक्षा ज्यादा होता है। जब आप शाम को काम कर घर लौटते हैं तब आपका मन बोझिल एवं शरीर थका रहता है। आपको चाहिए कि दफ्तर की सभी उलझनें एवं चिंता को वहीं छोड़ दें। शाम के वक्त आप घर पर बिताना चाहें या क्लब या पार्क में, आप जहां भी रहें, खुशमिजाज आदमी बनकर रहें। बच्चों, पत्नी और दोस्तों से चुटकले सुनें और खुद कहें। दिल खोलकर हंसे और हंसाएं। तब आप महसूस करेंगे कि आपका शरीर और मन हंसी की आनंदमयी फुहार से कितना तरोताजा हो जाता है।