यूपी का गाली कांड अब कई लोगों को राजनीति में आने का दावत दे रहा है। मायावती को गाली देने वाले दयाशंकर सिंह की पत्नी स्वाति सिंह को अब बीजेपी पार्टी का चेहरा बनाकर प्रचार कराने और विधानसभा चुनाव लड़ाने की तैयारी में है। सूत्रों की माने तो बीजेपी ने पार्टी में स्वाति सिंह की भूमिका तय कर ली है और अगले हफ्ते इसका औपचारिक एलान भी कर सकती है।
‘स्वाति सिंह तेजस्वी महिला हैं’
उत्तर प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने भी स्वाती सिंह के राजनीति में आने से साफ संकेत दिए हैं। मौर्य ने इलाहाबाद में पत्रकारों से बात करते हुए खुलकर कहा है कि स्वाति सिंह को जरुरत पड़ने पर चुनाव भी लड़ाया जाएगा और पार्टी का चेहरा भी बनाया जाएगा। इस दौरान केशव प्रसाद ने स्वाति सिंह को तेजस्वी महिला करार दिया और उनके संघर्षों की जमकर तारीफ की।
स्वाति को चुनाव मैदान में उतारने पर केशव ने कहा कि अगर पार्टी जरूरी समझेगी तो वह उन्हें चुनाव जरूर लड़ाएगी। हालांकि अभी पार्टी की प्राथमिकता बीएसपी नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ कार्रवाई कराना है। स्वाति सिंह को बीजेपी का चेहरा बनाकर नेता के तौर पर प्रोजेक्ट किये जाने के सवाल पर केशव ने कहा कि इस बारे में आगे निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने इस संभावना से कतई इंकार भी नहीं किया।
BSP को वोट बैंक में लगेगी सेंध?
दरअसल स्वाति सिंह द्वारा अपनी बेटी का सवाल उठाकर मायावती को बैकफुट पर ढकेलने के बाद बीजेपी उन्हें लेकर गंभीर हो गई है. पार्टी को लगता है कि स्वाति सिंह को नेता के तौर पर प्रोजेक्ट किये जाने और उन्हें चुनाव लड़ाने से एक साथ कई फायदे हो सकते हैं. वह न सिर्फ महिला वोटरों को बीजेपी से जोड़ेंगी बल्कि मायावती पर हमला कर बीएसपी के वोट बैंक में सेंध भी लगाएंगी.
बलिया से हो उतर सकती हैं मैदान में
सूत्रों की मानें तो, पार्टी स्वाती सिंह को ठाकुर बाहुल्य बालियां सीट से बीजेपी के लिए एक सशक्त उम्मीदवार बना सकती है। जिस तरह उन्होंने मायावती और बसपा के खिलाफ मोर्चा खोला है उससे उनकी एक मजबूत छवि तो सामने आयी ही है महिला होने के नाते उनको सहानभूति के भी वोट मिल सकतें हैं।
बलिया से दयाशंकर ने भी लड़ा था चुनाव
दयाशंकर बालियां से बीजेपी के टिकेट पर 2007 में चुनाव लड़ चुकें हैं और उस चुनाव में वो 5वे नंबर पर थे। पार्टी ने उन्हें 2012 में टिकट तो नहीं दिया लेकिन विगत एमएलसी चुनाव में पार्टी ने द्वितीय वरीयता का उम्मीदवार घोषित किया था। पार्टी कार्यकारिणी में उन्हें प्रदेश का उपाध्यक्ष भी बनाया गया था और पार्टी दयाशंकर के बल पर पूर्वांचल में ठाकुर वोटों को अपनी तरफ लुभाने की पुरजोर कोशिश करती दिखा रही थी।