राजस्थान के सियासी उठापटक का आज 20वां दिन है. लेकिन अब तक स्थिति स्पष्ट नहीं है. लेकिन इस बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है. बीतें दिनों केंद्रीय जांच एजेंसीयों द्वारा उनके करीबियों पर छापेमारी के बाद अब कथित फर्टिलाइजर घोटाले में उनके भाई अग्रसेन गहलोत से आज प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम पूछताछ करने वाली है. बताया जा रहा है कि इसके लिए खुद अग्रसेन गहलोत नई दिल्ली स्थित ईडी दफ्तर पहुंचेंगे.
उल्लेखनीय है कि हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूछताछ के लिए अग्रसेन गहलोत को नोटिस भेजा था. इससे पहले बीते दिनों कथित फर्टिलाइजर घोटाले के मामले में ईडी ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के भाई के घर समेत दिल्ली, राजस्थान, गुजरात और पश्चिम बंगाल के एक दर्जन से अधिक जगहों पर छापेमारी की थी.
केंदीय जांच एजेंसी के छापेमारी को लेकर कांग्रेस ने कई तरह के सवाल खड़े करते हुए इसे राजस्थान की गहलोत सरकार को गिराने की कोशिश से जोड़ा था. कांग्रेस ने कहा था कि जब राज्य में कांग्रेस सरकार को गिराने की केंद्र की कोशिश नाकाम हो गई, तब ईडी ने छापेमारी की है, जिसमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के भाई के परिसर शामिल हैं.
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने राजधानी जयपुर में प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी आपने इस देश में ‘रेडराज’ पैदा किया हुआ है. आपके इस ‘रेडराज’ से राजस्थान डरने वाला नहीं है’ सुरजेवाला ने कहा था कि, ‘अग्रसेन गहलोत का कसूर केवल इतना है कि वे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बड़े भाई हैं. वे न राजनीति में हैं ने उनका राजनीति से सरोकर है…जब भाजपा का संगठन विफल हो जाता है, पार्टी विफल होती है, पार्टी नेतृत्व विफल हो जाता है तो ईडी इनकम टैक्स व सीबीआई आगे आ जाते हैं’
CM गहलोत के भाई पर क्या है आरोप?
बतौर रिपोर्ट्स, सीएम गहलोत के बड़े भाई अग्रसेन गहलोत पर आरोप है कि उनकी स्वामित्व वाली कंपनी म्युरिएट ऑफ पोटाश (एमओपी) फर्टिलाइजर का निर्यात कर रही थी, जो निर्यात के लिए प्रतिबंधित है. एमओपी को इंडियन पोटाश लिमिटेड (आईपीएल) द्वारा आयात किया जाता है और फिर इसे किसानों के बीच रियायती दरों पर वितरित किया जाता है.
रिपोर्ट्स की माने तो अग्रसेन गहलोत आईपीएल के अधिकृत विक्रेता थे. 2007 से 2009 के बीच उनकी कंपनी ने सब्सिडाइज रेट पर एमओपी खरीदा. लेकिन उसे किसानों को बेचने की जगह दूसरी कंपनियों को बेच दिया गया. आरोप यह भाई है कि उन कंपनियों ने एमओपी को इंडस्ट्रियल सॉल्ट के नाम पर मलेशिया और सिंगापुर निर्यात कर दिए.