भारत सरकार ने सहमति से सेक्स की आयु सीमा घटाकर 16 साल करने पर सहमति दे दी है. दिल्ली गैंगरेप के बाद जारी बलात्कार विरोधी अध्यादेश में इसे बढ़ाकर 18 साल कर दिया गया था.सहमति से सेक्स की आयु बढ़ाकर 18 साल किए जाने ने भारत को पुरातनपंथी देशों की जमात में खड़ा कर दिया था क्योंकि दुनिया का औसत करीब 16 साल है. कई लोगों को मानना है कि सहमति की उम्र 18 किया जाना खतरों से खाली नहीं था.
सहमति से सेक्स के लिए बड़ी उम्र की वकालत करने वाले कहते हैं कि 18 साल से कम उम्र के बच्चे यौन संबंधों को संभालने के काबिल नहीं होते.
वो ये भी कहते हैं कि सहमति से सेक्स की उम्र बढ़ाने से व्यापक बाल यौन शोषण, किशोरावस्था में मां बनने, मानव तस्करी, बलात्कार और विवादास्पद “पश्चिमी देशों के भ्रष्ट प्रभाव” पर नियंत्रण किया जा सकता है.
भारत के 122 साल से भी पुराने सहमति से सेक्स की उम्र वाले कानूनों में उम्र को 10 साल से बढ़ाकर 18 साल किया गया है. पहले बाल विवाह और बाद में बलात्कार और किशोरावस्था में मां बनने पर नियंत्रण करना इसका उद्देश्य रहा.
लेकिन राष्ट्रीय जनसंख्या नीति के अनुसार आज भी 50% से ज़्यादा लड़कियों की शादी 18 साल से कम उम्र में हो जाती है.
शोधकर्ता पल्लवी गुप्ता कहती हैं कि शादी और सहमति से सेक्स की आयु एक ही कर देना “इस उम्र से छोटी लड़कियों को किसी भी तरह की यौन आज़ादी से महरूम करना है.”
साफ़ है कि भारत को अपनी बच्चों के सरंक्षण के लिए सहमति के लिए सेक्स की उम्र बढ़ाने के बजाय बाल विवाह को रोकने की ज़रूरत ज़्यादा है