राजस्थान में जारी सियासी संकट के बीच विधानसभा स्पीकर सीपी(Speaker CP Joshi) जोशी ने राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में यह कहते हुए चुनौती दी थी कि आखिर कोर्ट उनके अधिकारों पर पाबंदी कैसे लगा सकता है. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में इस पर सुनवाई हुई. अदालत की कार्यवाही सुबह 11 बजे के आस-पास शुरू हुई और दोपहर करीब 12.30 बजे तक यह सुनवाई चली. जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने राजस्थान स्पीकर की याचिका पर सुनवाई की. अदालत में अब इस मामले की अगली सुनवाई सोमवार यानी 27 जुलाई को होगी. इस बीच आज सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार किया, लेकिन कहा कि हाईकोर्ट का फैसला सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अधीन होगा.
बता दें कि इस मामले में राजस्थान हाईकोर्ट कल फैसला सुनाने वाला है. लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साफ़ है कि हाई कोर्ट का फैसला कंडीशनल होगा. सोमवार को जब सुप्रीम कोर्ट इस मामले में सुनवाई करेगा तो ये कई पहुलओं पर होगा. सुप्रीम कोर्ट इस बाबत सुनवाई करेगा कि क्या हाईकोर्ट स्पीकर के नोटिस के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर सकता है या नहीं. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट स्पीकर के अधिकार बनाम कोर्ट के क्षेत्राधिकार पर भी सुनवाई करेगा. यह पहला मौका नहीं है जब दलबदल कानून और स्पीकर द्वारा विधायकों के अयोग्यता के निर्णय का मामला सुप्रीम कोर्ट के चौखट तक पहुंचा है. इससे पहले हाल ही में कर्णाटक का मामला भी सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था.
आज कोर्ट की सुनवाई में क्या हुआ?
1. राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष सी.पी. जोशी का पक्ष रख रहे अधिवक्ता कपिल सिब्ब्ल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि राजस्थान हाईकोर्ट अध्यक्ष को विधायकों को अयोग्य ठहराने की प्रक्रिया को रोकने का निर्देश नहीं दे सकता.
2. सुप्रीम कोर्ट में स्पीकर सीपी जोशी की तरफ से वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट में कहा, ‘हाईकोर्ट स्पीकर को आदेश नहीं दे सकता, न्यायालय निर्णय का समय बढ़ाने के लिए स्पीकर को निर्देश नहीं दे सकता. जब तक अंतिम निर्णय स्पीकर द्वारा नहीं लिया जाता है, तब तक न्यायालय से कोई हस्तक्षेप नहीं हो सकता है.’
3. कपिल सिब्बल ने कहा, ”हाईकोर्ट का निर्देश वैध नहीं है. राजस्थान हाईकोर्ट का फैसला सही नहीं है. स्पीकर के फैसले से पहले कुछ भी होता है तो कोर्ट दखल नहीं दे सकता. अयोग्यता से संबंधित सभी कार्यवाही सदन तक ही सीमित होनी चाहिए. जब स्पीकर फैसला कर रहा है तो हाईकोर्ट आदेश जारी नहीं कर सकता.”
4. कपिल सिब्बल ने कहा कि कोर्ट केवल तब दखल दे सकता है जब स्पीकर विधायक को सस्पेंड या अयोग्य घोषित कर दे. अपवाद यह है कि यदि कार्यवाही की पेंडेंसी के दौरान अयोग्यता की जाती है तो अदालत हस्तक्षेप कर सकती है. अयोग्यता से पहले किसी भी कार्यवाही को चुनौती देने के लिए कोई भी रिट दाखिल नहीं हो सकती. कपिल सिब्बल ने कहा, ”हितो का फैसला साफ कहता है कि नोटिस के स्टेज पर कोर्ट दखल नही दे सकता है. इस स्टेज पर कोई सुरक्षात्मक आदेश नहीं दिया जा सकता.”
5. कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा- अध्यक्ष से एक तय समय सीमा के भीतर अयोग्यता पर फैसला लेने के लिए कहा जा सकता है, लेकिन हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता .
6. कपिल सिब्बल ने कहा कि चीफ व्हिप ने सचिन और अन्य 18 विधायकों के खिलाफ अयोग्यता को लेकर स्पीकर के समक्ष अर्जी दी थी. विधायक यह कहते हुए याचिका दायर नहीं कर सकते कि स्पीकर उन्हें नोटिस जारी नहीं कर सकते. कपिल सिब्बल ने कहा, ”स्पीकर के फैसला करने तक कोई हस्तक्षेप नहीं हो सकता है. अभी तक स्पीकर ने कुछ तय नहीं किया है लिहाजा वो याचिका हाईकोर्ट में दाखिल नही कर सकते थे.”
7. जस्टिस मिश्रा ने उठाया सवाल, कहा – मान लीजिए किसी नेता का किसी पर भरोसा नहीं. तो क्या आवाज उठाने पर उसे अयोग्य करार दिया जाएगा. पार्टी में रहते हुए वे अयोग्य नहीं हो सकते. फिर ये यह एक उपकरण बन जाएगा और कोई भी आवाज नहीं उठा सकेगा. लोकतंत्र में असंतोष की आवाज इस तरह बंद नहीं हो सकती. लोकतंत्र में असंतोष की आवाज इस तरह दबाई नहीं जा सकती.
8. इस पर कपिल सिब्बल ने कहा कि अभी तक स्पीकर ने कुछ तय नही किया है लिहाजा वो याचिका हाई कोर्ट में दाखिल नही कर सकते थे. उन्होंने (विधायक) अपने मोबाइल भी बंद कर रखे थे. इनको ईमेल से से भी नोटिस भेजे गए. विधायक हेमाराम चौधरी और बनवारी लाल शर्मा और अन्य विधायक नोटिस का जवाब देने की बजाय न्यूज चैनलों को बयान जारी करते रहे.
9. सुप्रीम कोर्ट ने कपिल सिब्बल को कहा कि वो स्पीकर की याचिका पर सुनवाई टालना चाहता है क्योंकि ये गंभीर मुद्दा है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा मामले की गहन सुनवाई की जरूरत है. सिब्बल ने तब तक हाईकोर्ट के फैसले पर रोक की मांग की.
10. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार किया, लेकिन कहा कि हाईकोर्ट का फैसला सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अधीन होगा. सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगा.