कोरोना वायरस (Coronavirus) की वैक्सीन जल्द तैयार करने के लिए दुनिया की सभी दिग्गज कंपनियां, सैन्य संस्थान और प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय जोरशोर से लगे हुए हैं। इनमें से 8 वैक्सीन हैं, जो कोरोना वायरस (Coronavirus) पर अलग-अलग तरह से वार करती हैं। हाल ही में जारी एक रिर्पोट के अनुसार ये संस्थान निष्क्रिय वायरस, डीएनए विधि के माध्यम से टीका तैयार कर रही हैं, लेकिन उनका उद्देश्य एक है- मानव शरीर में कोरोना वायरस का हमला होने पर उसे पूरी तरह से नष्ट करने की क्षमता पैदा करना।
1. ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और एस्ट्राजेनेका वायरल वेक्टर विधि–
इस विधि में कोविड-19 के खतरनाक स्पाइक प्रोटीन के जीनोम के साथ चिंपैजी में पाए जाने वाले एडिनोवायरस को वेक्टर के तौर पर प्रयोग करके मानव शरीर में प्रतिरोधी प्रतिक्रिया पैदा की गई।
2. फाइजर और बायोनटेक-एमआरएनए वैक्सीन–
जर्मनी और अमेरिका में दूसरे चरण में कोशिकाओं को संक्रमण से लड़ने वाले प्रोटीन पैदा करने के संदेश देने वाले आरएनए तकनीक का इस्तेमाल। जुलाई माह के अंत तक कुल 30 हजार लोगों पर तीसरे चरण का परीक्षण।
3. कैनसिनो-वायरल वेक्टर विधि-
कैनसिनो का चीनी सेना के साथ संयुक्त शोध में कोरोना वैक्सीन के लिए एडिनो5 वायरस का उपयोग। टीकाकरण के ठीक 30 मिनट, 14 और 28 दिनों में दिखा असर।
4. जॉनसन एंड जॉनसन-
वायरल वेक्टर बेथ इजरायल डी मेडिकल सेंटर बोस्टन के साथ कंपनी ने इबोला वायरस के लिए तैयार की गई एडी26 का कोरोना वैक्सीन के लिए प्रयोग किया।
5. रूसी वैक्सीन-टीकों का घोल-
गामलेया इंस्टीट्यूट और रूसी सेना ने पहले बनाई गई कई टीके का कॉकटेल बनाकर कोरोना वैक्सीन तैयार की। दूसरे चरण का परीक्षण 100 प्रतिशत सफल रहने का दावा किया।
6. ऑस्ट्रेलियाई कंपनी वैक्सिन-स्पाइक-
इस टीके ने रिकांबिनेंट स्पाइक प्रोटीन विधि से कोरोना वैक्सीन (corona vaccine) तैयार की है। साल 2003 में सार्स और 2012 में मर्स का टीका इसी प्रकार बनाया गया था।
7. मॉडर्ना-एमआरएनए वैक्सीन-
कोरोना वायरस पर सबसे पहले परीक्षण शुरू करने वाली अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना की वैक्सीन ने कम समय और काफी कम लागत में तैयार होने वाली एमआरएनए तकनीक को चुना। पहले चरण का परीक्षण 100 प्रतिशत सफल रहने का दावा किया।
8. भारत की दो कंपनियों की दावेदारी-
स्वदेशी कंपनी भारत बायोटेक आईसीएमआर के साथ मिलकर इनएक्टिवेटेड वैक्सीन तरीके के वैक्सीन (vaccine) पर पिछले कई महीनों से काम कर रही हैं। कोवैक्सिन नाम के इस टीके का प्री क्लीनिकdल परीक्षण भी सफल रहा।
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