चीनी मीडिया ने मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) में भारत को शामिल करने भड़क गया है। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि पिछले कुछ सालों में पश्चिमी दुनिया ने भारत को बहुत कुछ दिया है और चीन को ठेंगा दिखाया है। भारत पश्चिमी देशों का आंखों का तारा बन गया है और वह अंतरराष्ट्रीय मामलों मे सिर्फ अपने बारे में सोचता है।
विश्व बिरादरी ने चीन को एमटीसीआर की इसकी सदस्यता नहीं दी और भारत का आवेदन स्वीकार कर लिया। उसने एनएसजी में भारत की सदस्यता पर चीन के विरोध को भी नैतिक रूप से सही बताया। उसने स्पष्ट किया कि चीन की बजाय एनएसजी के नियमों ने भारत को रोका। लेकिन भारत ने ऐसा दिखाने की कोशिश की कि चीन को छोड़कर सारे देश उसका समर्थन कर रहे हों। जबकि दस देशों ने एनपीटी का सदस्य न होने का हवाला देते हुए भारत की सदस्यता विरोध किया था।
भारतीयों की तुलना में चीनी परिपक्व
भारतीयों ने ऐसे प्रतिक्रिया दी कि राष्ट्रीय हितों के आगे वैश्विक सिद्धांतों का कोई महत्व नहीं है। एमटीसीआर पर उसने कहा कि भारत की सदस्यता पर चीन में कोई हलचल नहीं दिखाई दी। क्योंकि अंतरराष्ट्रीय मामलों में झटकों को लेकर चीनी काफी परिपक्व हैं।
नखरे दिखाने से कोई फायदा नहीं हो
अखबार के मुताबिक, भारत सरकार ने सही तरीके से प्रतिक्रिया दी। जबकि भारत के राष्ट्रवादियों को समझना होगा कि कैसे व्यवहार किया जाता है। अगर वे देश को महाशक्ति बनाना चाहते हैं तो उन्हें जानना चाहिए कि महाशक्तियां कैसे व्यवहार करती हैं।
अमेरिका के साथ का मतलब दुनिया का समर्थन नहीं
उसने लिखा, अमेरिकी समर्थन भारत की एनएसजी सदस्यता की राह का सबसे बड़ा रोड़ा बना। लेकिन अमेरिका के समर्थन का यह मतलब नहीं है कि भारत को दुनिया का समर्थन मिल गया। भारत के साथ अमेरिका की नजदीकियां वास्तव में चीन को रोकने के लिए हैं।
मोदी के बयान पर चीन ने दी सकारात्मक प्रतिक्रिया
चीन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान पर मंगलवार को सकारात्मक प्रतिक्रिया दी। चीन ने कहा कि वह विवाद वाले विषयों के निष्पक्ष, तर्कसंगत और परस्पर स्वीकार्य समाधान खोजने के लिए भारत के साथ बातचीत करेगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हांग ली ने कहा कि दोनों देशों के बीच समान हितों का पलड़ा उनके मतभेदों से भारी है।
पीएम मोदी ने सोमवार को कहा था कि एनएसजी, मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने जैसे मुद्दों पर गतिरोध के बावजूद चीन के साथ हमारा संवाद जारी रहेगा। मोदी ने कहा था कि चीन के साथ हमारा संवाद जारी है और यह जारी रहना चाहिए। उन्होंने कहा था कि चीन के साथ हमारी एक समस्या नहीं है, उसके साथ हमारी तमाम समस्याएं लंबित हैं। कई मुद्दे हैं। लेकिन हम आगे बढ़ना जारी रखेंगे।