पाकिस्तान ने आज भारत पर द्विपक्षीय वार्ता प्रक्रिया को पटरी से उतारने के लिए पठानकोट आतंकवादी हमले को बहाने की तरह इस्तेमाल करने का आरोप लगाया और कहा कि वार्ता ही आतंकवाद से संबंधित ‘परस्पर चिंता’ समेत लंबित मुद्दों के हल की दिशा में आगे बढ़ने का सर्वश्रेष्ठ रास्ता है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के विदेश मामलों के सलाहाकर सरताज अजीज ने कहा कि शांतिपूर्ण पड़ोस सरकार की नीति है। उन्होंने कहा कि जब दिसंबर, 2015 में भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पाकिस्तान आयी थीं तब पाकिस्तान और भारत वार्ता शुरू करने पर राजी हुए थे।
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन विदेश सचिवों की वार्ता होती और समग्र वार्ता बहाल करने का कार्यक्रम तय होता, उससे पहले दो जनवरी, 2016 को हुई पठानकोट घटना ने भारत को इस वार्ता की बहाली को स्थगित करने का बहाना दे दिया।’’
अजीज ने कहा, ‘‘पाकिस्तान मानता है कि वार्ता ही आतंकवाद से संबंधित ‘परस्पर चिंता’ समेत लंबित मुद्दों के हल की दिशा में आगे बढ़ने का सर्वश्रेष्ठ रास्ता है।’’ उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने भारत में एक संयुक्त जांच दल भेजा और वह इस हमले में कथित रूप से शामिल लोगों के खिलाफ पहले ही जरूरी जांच शुरू कर चुका है। पठानकोट वायुसेना स्टेशन पर दो जनवरी को आतंकवादी हमले के बाद भारत पाकिस्तान वार्ता स्थगित हो गयी। इस हमले में सात भारतीय सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे।
भारत ने पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश ए मोहम्मद पर इस हमले का आरोप लगाया है और उसने उसके खिलाफ पाकिस्तान द्वारा कार्रवाई किये जाने के साथ वार्ता प्रक्रिया की बहाली जोड़ दी है। अजीज ने प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की सरकार की उपलब्धियों का बखान करने के लिए यहां मीडिया को संबोधित किया। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि पाकिस्तान भारत के साथ द्विपक्षीय स्तरों पर और संयुक्त राष्ट्र जैसे बहुपक्षीय मंचों पर भी कश्मीरियों के आत्मनिर्णय के अधिकार के लिए उनके संघर्ष का समर्थन करता रहेगा। उन्होंने कहा कि शरीफ के सत्ता संभालने के बाद अमेरिका के साथ पाकिस्तान के संबंध सुधरे हैं, लेकिन इस संबंध को प्रभावित करने वाला मुख्य मुद्दा पाकिस्तान की सुरक्षा जरूरतों के प्रति अमेरिकी उदासीनता है।