डॉ0 उदित राज, राष्ट्रीय अध्यक्ष, अनुसूचित जाति/जन जाति संगठनों का अखिल भारतीय परिसंघ, ने कहा कि बहुजन समाज पार्टी कभी राजनैतिक दल नहीं रहा है। विशेषरूप से दलित ही इसके आधार हैं और उन्हें भ्रमित करके रखा जा रहा है कि बहुजन समाज पार्टी उनका राजनीतिक दल है। सुश्री मायावती जी को संवैधानिक अधिकार है कि वे संगठन चलाएं लेकिन भ्रमित करके कि यह राजनैतिक दल है, वह गलत है।
स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा पार्टी को छोड़ दिए जाने केबाद यह बात और स्पष्ट हो गयी कि यह राजनैतिक दल न होकर निजी संगठन हो गया है। लोग ज्यादातर सामाजिक आधार पर जुड़े हैं तो वह भी अपने आप में यह सिद्ध करता है कि बसपा राजनैतिक दल नहीं है।डॉ0 उदित राज ने आगे कहा कि राजनैतिक दल की परिभाषा के अनुसार किसी भी प्रकार से प्रमाणिकता नहीं होती है कि यह एक राजनैतिक दल है।
‘‘राजनैतिक दल लोगों का एक समूह है, जिसकी एक निश्चित विचारधारा और मांगें हैं और सत्ता में आकर उन पर कानून बनाना या लागू करना।’’ बसपा का कोई चुनावी घोषणा-पत्र नहीं होता। केवल चुनाव के समय वोट मांगने का कार्य होता है और उसके बीच कार्यकर्ताओं और जनता की समस्याओं पर कोई संघर्ष नहीं होता। संघर्ष तब करते जब कोई निश्चत विचारधारा या मांगें या अधिकार की बात होती।
वास्तव में सैकड़ों वर्षों तक दलितों का जो शोषण हुआ है, उससे निजात पाने के लिए अपनी ही जाति के नेता से आशा रखता है। कांशीराम जी ने इस पार्टी की स्थापना की लेकिन उनके कुछ विचार थे। दलित अपनी जाति के नेता के माध्यम से अपनी समस्याओं का निराकरण चाहते हैं।
ज्यादातर बसपाई दलित सामाजिक कुरीतियों से लड़ना चाहते हैं, उसके लिए उन्हें राजनैतिक दल का सहारा न लेकर खुद में परिवर्तन लाना होगा। एक ताकतवर सामाजिक आंदोलन चलाएं। बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर ने जातिविहीन समाज की लड़ाई लड़ी। बौद्ध धर्म को अपनाने के लिए कहा। देखा यह जा रहा है कि राजनीति की वजह से बाबा साहेब के विचार प्रभावहीन होते जा रहे हैं। राजनैतिक दल और खासतौर से बसपा जातीय ध्रुवीकरण करके वोट लेती है।