नई दिल्ली. देश के 13 राज्यों के कई विश्वविद्यालयों के दर्जनों छात्र आज सुप्रीम कोर्ट पहुंचे. छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि फाइनल ईयर की परीक्षा (Final year exam) को लेकर यूजीसी के आदेश पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जाए. विद्यार्थियों की मांग है कि सीबीएसई की तर्ज पर उनके पिछले 5 सेमेस्टर के प्रदर्शन और आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर अंक प्रदान करते हुए उन्हें 31 जुलाई तक डिग्री दे दी जाए.सुप्रीम कोर्ट ने छात्रों की याचिका तत्काल स्वीकार कर ली है अनुमान है कि इस पर जल्द सुनवाई की जाएगी.
आपको बता दें कि यूजीसी ने फाइनल ईयर की परीक्षा (Final year exam) लेना अनिवार्य बताया है. यह फैसला इसलिए लिया गया था क्योंकि फाइनल ईयर की परीक्षा पर ही विद्यार्थियों का प्लेसमेंट निर्भर करता है और भविष्य में उनकी डिग्री पर सवाल खड़े ना हो इसीलिए फाइनल ईयर की परीक्षा लेना अनिवार्य किया गया था. साथ ही सभी विश्वविद्यालयों को 30 सितंबर तक अंतिम वर्ष की परीक्षाएं आयोजित करने का निर्देश दिया गया था.
यूजीसी (UGC) ने फाइनल ईयर की परीक्षाओं को लेकर विश्वविद्यालयों से राय मांगी थी. इसके जवाब में 660 विश्वविद्यालयों ने जवाब दिया था. 454 विश्वविद्यालयों ने कहा कि वह परीक्षा करवा चुके हैं. इसी बीच यह जानना भी आवश्यक है कि 2019-2020 के बीच 27 नई यूनिवर्सिटी को मान्यता भी प्रदान की गई है. इन विश्वविद्यालयों में अभी पहली बैच के छात्र अंतिम वर्ष तक पहुंचे भी नहीं हैं. इस असमंजस की स्थिति में लोग एकरूपता लाने के लिए पूरे देश के विश्वविद्यालयों के लिए एक कानून बनाने की मांग कर रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंचे छात्रों का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील अनुभा श्रीवास्तव सहाय का कहना है कि कोरोना संक्रमण के खतरे के कारण छात्रों का बाहर निकलना बिल्कुल उचित नहीं है. ऐसे में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का यह आदेश कि सभी विश्वविद्यालय फाइनल ईयर की परीक्षाएं अनिवार्य रूप से लें यह फैसला गलत है.
दिल्ली, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल जैसे अनेक राज्य हैं जिन्होंने अपने राज्यों के विश्वविद्यालयों को बिना परीक्षा कराए डिग्री दे देने की अनुमति दे दी है.