प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अशांत कश्मीर के लोगों से संवाद की कोशिश की तथा इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत के ढांचे के तहत वार्ता की इच्छा का संकेत दिया।
एक महीने से भी अधिक समय से चल रही अशांति पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए मोदी ने कहा कि यह देखना बड़ा पीड़ाजनक है कि जिन युवकों के पास लैपटाप, पुस्तकें और क्रिक्रेट के बैट होने चाहिए, उन्हें पत्थर दिए जा रहे हैं और उन्होंने उनसे धरती के इस स्वर्ग पर शांति एवं सौहार्द्र कायम रखने की अपील की। इस अशांति के दौरान 55 लोगों की जानें जा चुकी हैं।
उन्होंने कहा कि कश्मीर को वही स्वतंत्रता प्राप्त है जो हर जगह भारतीय महसूस करते हैं और महबूबा मुफ्ती सरकार एवं केंद्र राज्य की कठिनाइयों का हल करने के लिए मिलकर काम कर रही है लेकिन कुछ लोगों को यह हजम नहीं हो रहा और वे विध्वंस के रास्ते पर हैं।
मोदी ने कहा, जब अटल बिहारी वाजपेयरी प्रधानमंत्री थे तब उन्होंने इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत का रास्ता अपनाया था, हम भी उसी रास्ते पर चलते हैं। मैं चंद्रशेखर आजाद की इस महान जन्मस्थली से कश्मीर के भाइयों और बहनों से कहना चाहता हूं कि कश्मीर के पास वही ताकत है जो भारत (के अन्य हिस्सों) को हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने दी थी। कश्मीर को वही आजादी है जो हर भारतीय महसूस करता है।