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Home पर्यटन

पर्यटन को नया अर्थ दे रहा है झारखंड

by Suchana Online
April 18, 2018
in पर्यटन
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पर्यटन को नया अर्थ दे रहा है झारखंड
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हरे-भरे जंगल, नदी, पहाड़ी, पठार और झरनों वाला झारखंड पर्यटन को नया अर्थ प्रदान कर रहा है। बिहार से वर्ष 2000 में अलग राज्य के रूप में स्थापित झारखंड काफी लंबे समय तक नक्सलवाद की चुनौतियों से जूझता रहा है। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि नक्सलवाद राज्य के लिए पुरानी बात हो चुकी है और पिछले दो वर्ष में यहां एक भी नक्सली घटना नहीं हुई है। पर्यटन क्षेत्र की संभावना और क्षमता के बारे में मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा, राज्य में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। इसके मद्देनजर मेरी सरकार ने अधिक से अधिक घरेलू एवं विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के उद्देश्य से पर्यटन के विकास के लिए कई कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि पर्यटन के आर्थिक एवं सामाजिक लाभ को महत्व देने की जरूरत है क्योंकि यह रोजगार सृजन और आय का प्रमुख स्रोत है। झारखंड में केवल छोटानागपुर का पठार ही नहीं बल्कि रांची और हजारीबाग समेत कुल तीन पठार हैं।
वहीं, यहां कई सुंदर जलप्रपात भी हैं। आदिवासी बहुल एवं खनिज संसाध्ानों से परिपूर्ण इस राज्य को मुगल काल में कोकराह कहा जाता था। यहां की आदिवासी कला एवं संस्कृति का विस्तार छोटानागपुर पठारों पर देखा जा सकता है। हालांकि इस कला एवं संस्कृति का अभी तक पूर्ण विस्तार नहीं हो पाया है। जंगल की प्रचूरता इस राज्य की विशेषता है। इन विशेषताओं को ध्यान में रखते हुये यहां की रघुवर सरकार ने वित्त वर्ष 2018-19 के बजट में पर्यटन एवं आतिथ्य क्षेत्र के व्यापक विकास के लिए 120 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। पर्यटन मंत्री अमर कुमार बाउरी ने कहा, खनिज संसाधन से समृद्ध झारखंड को प्राकृतिक संदरता का वरदान प्राप्त है। इसकी प्राकृतिक सुंदरता यहां की पहाड़यिं, पठारों, जंगलों, झरनों और आदिवासी नृत्यों में दिखाई देती है। मेरा सभी से अनुरोध है कि वे झारखंड आएं और यहां की अनदेखी और छुपी हुई सांसकृतिक संपदा का अवलोकन करें। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पर्यटकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कानून व्यवस्था कायम रखने के लिए काफी काम किए हैं।
बाउरी ने पर्यटन के लिए झारखंड का ही चुनाव क्यों के जवाब में कहा कि यहां आकर पर्यटक आदिवासियों के नृत्य एवं त्योहारों के साथ उनके जीवन को समझ सकेंगे, जो उन्हें प्रकृति के नजदीक लाने में मददगार साबित होगा। यहां के हस्तशिल्प और हथकरघा मानवजाति के करीब लाते हैं। एशिया का सबसे बड़ा जंगल सारंदा यहीं है। यहां का प्रत्येक जंगल अलग अनुभव और रोमांच देता है। मंत्री ने कहा कि हजारीबाग की गुफा चित्रकला, साहेबगंज में
मुगल स्थापत्य, चैतन्य महाप्रभु की परंपरा, मलूटी के मंदिर, चीनियों के समाधि स्थल और कई अन्य स्थल पर्यटकों अलग अनुभव प्रदान करेंगे। इसके अलावा यहां देवघर में बैद्यनाथ धाम, रजरप्पा में छिन्नमस्तिका मंदिर और इटखोरी में भद्रकाली मंदिर सहित कई तीर्थस्थल हैं।
वहीं, झारखंड पर्यटन के निदेशक संजीव कुमार बेसरा ने कहा, राज्य में अब भय का माहौल नहीं है। लोग यहां सुरक्षित यात्रा कर सकते हैं। मैं गर्व के साथ कह सकता हूं कि झारखंड नक्सलमुक्त राज्य है। पिछले दो वर्षों में यहां एक भी नक्सली घटना नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि अभी हाल ही में यहां झारखंड ट्रैवल मार्ट का अयोजन किया गया था। इस मार्ट के माध्यम से राज्य के पर्यटन स्थलों से पर्यटकों का परिचय कराने का प्रयास किया गया। बेसरा ने बताया कि फिल्म उद्योग ने भी राज्य के पर्यटक स्थलों को बढ़ावा देने का वादा किया है। राज्य सरकार झारखंड में बनाए जाने वाले फिल्मों पर सब्सिडी देने का निर्णय लिया है। निदेशक ने बताया कि झारखंड पर्यटन इंजॉय 11 वंडर्स ऑफ झारखंड के नाम से राज्य में पर्यटन अभियान चला रहा है। इसमें नेतरहाट, लातेहार बेतला राष्ट्रीय पार्क, जोन्हा जलप्रपात, रजरप्पा मंदिर, बासुकीनाथ मंदिर, पारसनाथ मंदिर, बैद्यनाथ धाम, इटखोर, दुमका का
टेराकोटा मंदिर, चांडिल डैम और रामगढ़ पतरातू घाटी शामिल हैं।

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