पंडित दीन दयाल उपाध्याय जन्म शताब्दी के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि हम भारतीय जनसंघ से भारतीय जनता पार्टी बने। उसी जगह आए जहां से पंडित दीन दयाल उपाध्याय ने अपना चिंतन दिया था। इसलिये कि हमें जड़ों से जुड़े रहना है। हम उस यात्रा के यात्री नही हैं जहां लोग लेने, खाने, कुछ बनने के लिए निकलते है। प्रधानमंत्री ने कहा, अगर ऐसा करना होता तो हम भी कई समझौते कर लेते। विपक्ष में बैठने की बजाय खुद के लिए जगह बना लेते। हम वैसे दल नही हैं। पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने जिनबातों को हमें बताया है ये जन्मशताब्दी का वर्ष हम भाजपा कार्यकर्ताओं केलिए राजनैतिक चिंतन, वैकल्पिक राजनीति क्या होती है ऐसे तमाम पहलूओं पर गंभीरता से विचार करने और उसको अमल में लाने के लिए महत्वपूर्ण है। लोकतंत्र में जनप्रतिनिधियों का होना अनिवार्य है कितुं, राजनीति में गिरावट आई है। हम आचार-विचार के माध्यम से फिर से एक बार इस संस्थान की प्रतिष्ठा स्थापित कर सकते हैं। दूसरे दलों में भी अच्छे नेता हैं। किंतु, भाजपा के पास यह संख्या बड़ी है। उपाध्याय जी सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय की बात करते थे। वे कहते थे कि समाज का कोई अंग हमारे लिये अछूत नही होना चाहिए। सभी वर्गों, पंथों के प्रति समान नजरिया होना चाहिए। उपाध्याय ने कहा था कि मुसलमानों को न वोट की मंडी का माल न समझे बल्कि उसे अपना समझे। उसे न परिष्कृत करें न पुरस्कृत करें बल्कि उनका परिष्कार करें। उन्होंने कहा था कि सबसे निचली सीढ़ी पर जो लोग हैं उनका सामाजिक आर्थिक विकास करना होगा। प्रधानमंत्री ने कार्यकर्ताओं से कहा कि ऐसा काम करें जिससे दीन दयाल के विचार समाज में फलीभूत हो यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। उनका कहना था कि अगर सबको बराबर करना है तो ऊपर के लोगों को झुककर नीचे के लोगों को उठाना होगा। जैसे शरीरमें सब अंग पूरी तरह विकसित नही है तो उसे स्वस्थ शरीर नही कहा जाता। वैसे ही हिन्दुस्तान में सभी क्षेत्र, समाज, वर्ग का विकास अनिवार्य है और एक साथ होना चाहिए। इसलिये भारत का पूर्वी क्षेत्र चाहे वह पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, असम या दूसरे पूर्वी राज्य हैं,सबका समान विकास करना ही हमारा लक्ष्य है। ग्लोबल वार्मिंग की बात हो रही है। पंडित जी ने पहले ही कहा था कि प्राकृतिक संसाधनों का उतना ही दोहन होना चाहिए जितने की भरपाई हो सके। विश्व भी मान चुका है कि भारत ग्लोबल वार्मिंग को रोकने में दुनिया का अग्रदूत बना है। हमें गर्व है कि पंडित जी ने पर्यावरण के बारे में हमें चेताया और प्राकृतिक संसाधनों को सीमित दोहन करने की सीख दी।