नई दिल्ली. केंद्रीय मंत्रिमंडल के द्वारा देश में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (New Education Policy 2020) को मंजूरी दिए जाने के बाद बुधवार शाम इसकी औपचारिक घोषणा भी की गई. यह घोषणा केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावेडकर और रमेश पोखरियाल निशंक ने संयुक्त रूप से की. करीब 3 दशक के बाद नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को मंजूरी मिली है. इससे पहले 1986 में राजीव गांधी सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाई थी उसके बाद 1992 में इसमें संशोधन किया गया. उसके बाद मोदी सरकार ने नई शिक्षा नीति पर काम करना शुरू किया और करीब 2.5 लाख लोगों की राय के बाद 29 जुलाई 2020 को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (New Education Policy 2020) को मंजूरी दे दी गई लेकिन इन सभी के बीच हमारा यह जानना जरूरी है कि क्यों इस नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की जरूरत पड़ी? पूर्व की शिक्षा नीतियों में क्या कमियां थी जिसके चलते नई शिक्षा नीति बनाने की आवश्यकता हुई.
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (New Education Policy 2020) से पहले दो बार राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाई गई थी. पहली राष्ट्रीय शिक्षा नीति इंदिरा गांधी सरकार के द्वारा लागू की गई थी. इसका मुख्य उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना और देश के सभी नागरिकों को शिक्षित करना था. उसके बाद दूसरी शिक्षा नीति राजीव गांधी सरकार के द्वारा लागू की गई. जिसमें कंप्यूटर और पुस्तकालय जैसे संसाधनों को जुटाने पर जोर दिया गया.
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (New Education Policy 2020) की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि पूर्व की शिक्षा नीति के अनुसार ज्ञान से ज्यादा महत्व अच्छे अंकों को दिया जाता था. जिसके चलते विद्यार्थियों में ज्ञान प्राप्त करने की जगह अच्छे अंको को प्राप्त करने की होड़ मच गई. स्कूलों और कॉलेजों से ऐसे युवा नहीं निकल पा रहे थे जो उद्योग-व्यापार जगत में काम कर सके. स्कूल कॉलेज पास करते ही विद्यार्थी नौकरी की तलाश में निकल पड़ते हैं.
इन सभी बातों के साथ इस बात को इनकार नहीं किया जा सकता कि स्कूल कॉलेजों से निकले युवाओं ने देश दुनिया में भारत को नई पहचान दिलाई है लेकिन ऐसी युवाओं की संख्या केवल मुट्ठीभर है.
लेकिन नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (New Education Policy 2020) में इस बात पर विशेष ध्यान दिया गया है कि शिक्षा केवल डिग्री-डिप्लोमा पाने का जरिया और नौकरी पाने भर तक सीमित ना रहे बल्कि विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास हो. उनमें कुछ नया करने और कुछ नया सोचने की क्षमता को बढ़ाया जा सके. मुख्य फोकस ज्ञान ,विज्ञान और बुद्धि कौशल पर किया गया है.अब पाठ्यक्रम को मूल मुद्दों तक ही सीमित रखा जाएगा. कौशल विकास के तहत रुचि के मुताबिक बच्चों को ट्रेनिंग दी जाएगी साथ ही पाठ्यक्रम को इस तरीके से तैयार किया जाएगा कि कोर्स को बीच में छोड़कर विद्यार्थी कोई दूसरा पसंद का विकल्प भी चुन सके.