डॉक्टरी सुविधाओं के लिहाज से अब तक उपेक्षित रहे बचपन को सरकार ने उम्मीद की नई किरण दिखा दी है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने 18 साल तक के सभी बच्चों को डॉक्टरी सुविधा उपलब्ध कराने के लिए स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम को नए सिरे से शुरू करने की योजना बनाई है। पहली बार छह साल तक के बच्चों को भी इस योजना में शामिल किया जा रहा है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश भर में स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम को नए सिरे से शुरू करने की तैयारी पूरी कर ली है। इसके तहत बच्चों की 22 गंभीर बीमारियों, जन्म से मौजूद शारीरिक व मानसिक कमियों और अपंगताओं की जांच के साथ ही आगे के इलाज की भी व्यवस्था होगी। मंत्रालय का मानना है कि इससे हर साल 20 करोड़ बच्चों को फायदा मिलेगा।
सूत्रों के मुताबिक, स्कूलों में आयरन और फोलिक एसिड की नीली गोलियां बांटने के कार्यक्रम की तरह इसे भी संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी के हाथों ही शुरू कराया जाएगा। सोनिया 5 फरवरी को महाराष्ट्र के ठाणे जिले से योजना शुरू करेंगी। मंत्रालय के मुताबिक राष्ट्रीय स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम के मूल दिशा-निर्देशों में सिर्फ छह-18 साल तक के बच्चे शामिल किए गए थे। कुछ राज्य इससे छोटे बच्चों को भी इसमें शामिल कर रहे हैं। ऐसे में एकरूपता लाने के लिए इसे नए सिरे से शुरू किया जा रहा है। अब इसमें 18 साल तक के सभी बच्चे शामिल होंगे। सभी राज्यों को वित्त वर्ष 2012-13 के दौरान ही साफ तौर पर निर्देश दे दिया गया था कि वे इसके लिए अलग से समर्पित टीम तैयार कर लें। 16 राज्यों ने इसके लिए जिलास्तर पर डॉक्टरी टीम तैयार कर ली है। कुछ राज्यों में नई नियुक्तियों को लेकर कुछ देरी हो रही थी, लेकिन तीन महीने के अंदर बाकी राज्यों में भी यह काम पूरा हो जाएगा। सभी राज्यों को ब्लॉक स्तर पर भी ऐसी ही टीम गठित करने को कहा गया है।
सालाना 20 करोड़ बच्चों को मिल सकेगा फायदा
22 बीमारियों की जांच, आगे का पूरा इलाज होगा
देश में 40 फीसद आबादी 18 से कम उम्र की