कोरोना वायरस (Coronavirus) ने दुनियाभर में करीब 16 करोड़ लोगों के रहने का ठिकाना छीन लिया। रिफ्यूजी इंटरनेशनल में छपी एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि जो लोग बेरोजगारी और भुखमरी के चलते अपने घर व देश को छोड़कर दूसरी जगहों पर बस गए थे, उनके पास से वह घर भी छिन गई। बिना किसी सुरक्षा के जीने वाले ऐसे लोगों की मदद से सरकारों ने भी हाथ खींच लिए। पिछले 6 महीने से भुखमरी का सामना कर रहे इन लोगों के कोरोना वायरस (corona virus cases) की चपेट में आने का सबसे ज्यादा खतरा है। आर्थिक और सामाजिक मदद की तलाश में ये लोग दूसरे देश जाने के लिए जान का जोखिम ले रहे हैं क्योंकि कोरोना संक्रमण (corona virus cases in India) के चलते सभी देशों ने अपनी सीमाएं बंद कर रखी हैं।
कोरोना वायरस (coronavirus) आने से पहले ही बेघर हो गए–
रिफ्यूजी इंटरनेशनल में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, यह भयंकर महामारी सामाजिक असमानताओं को भी उभार रही है। इस पर संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि शरणार्थी समुदायों की सर्वाधिक मौजूदगी वाले देशों में कोरोना वायरस (corona virus) को पूरी तरह पहुंचने में केवल 2-4 महीने ही लगेंगे। पर यहां पहले से मौजुद चुनौतियों ने शरणार्थियों को पहुंचने से पहले एक बार फिर से बेघर कर दिया।
Also Read:- सुरक्षित नहीं है N-95 मास्क? स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को पत्र लिख कर चेताया
लॉकडाउन से भारत समेत कई देशों में आतंरिक विस्थापन–
लॉकडाउन (Lockdown) के समय रोटी का संकट आने से लाखों लोगों को अपने घर को लौटना पड़ा। जिससे भारत, सऊदी अरब, ब्रिटेन अन्य देशों में बड़े पैमाने पर आंतरिक विस्थापन हुआ और नए प्रकार के शरणार्थियों का एक वर्ग पैदा हो गया। इस आतंरिक विस्थापन ने इन देशों में कोरोना वायरस संक्रमण (corona virus infection) काफी तेजी से बढ़ाया है। साथ ही ऐसे मजबूर लोग स्थानीय नेताओं और लोगों की नजरों में कोरोना संक्रमण बढ़ने का कारण भी बन गए हैं।
99 देशों ने प्रवेश नहीं दिया–
दुनिया की 90% आबादी जिन देशों में निवास करती है, वहां लॉकडाउन (Lockdown) किया गया। ताकि कोरोना वायरस संक्रमण को कम किया जा सके। ऐसे में 99 देशों ने संक्रमण के चलते अपनी सीमाएं शरणार्थियों के लिए भी पूरी तरह बंद कर दीं जो कि संयुक्त राष्ट्र संघ के नियम के खिलाफ है।
Also Read: Coronavirus पर अलग-अलग तरह से वार करेंगी ये 8 वैक्सीन, टीका बनाने में जुटी है पूरी दुनिया