अब तक मानव संसाधन विकास मंत्रालय (Ministry of Human Resource Development) के नाम से जाना जाने वाला मंत्रालय विभाग अब शिक्षा मंत्रालय(Ministry of Education) के नाम से जाना जायेगा. बुधवार को केंद्र की मोदी सरकार के कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव पर मुहर लग गयी है. इसके साथ ही कैबिनेट की बैठक में नई शिक्षा नीति के प्रस्ताव को भी मंजूरी मिल गई है.
इस बाबत विस्तृत ब्यौरा बुधवर शाम को 4 बजे होने वाली कैबिनेट की प्रेस ब्रीफिंग में दी जाएगी. गौरतलब है कि इससे पहले मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने प्रस्ताव दिया था कि मंत्रालय का मौजूदा नाम बदल कर शिक्षा मंत्रालय कर दिया जाए. जिस प्रस्ताव पर मोदी कैबिनेट ने मुहर लगा दी है. इसके साथ ही नई शिक्षा नीति को भी मंजूरी दे दी गई. कयास लगाये जा रहे है कि जल्द ही ये अम्ल में भी लाया जायेगा.
बताया जा रहा है कि शिक्षा क्षेत्र में अव्यवस्था को खत्म करने के उद्देश्य से पूरे उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिए एक ही रेगुलेटरी बॉडी का गठन किया गया है. इस बाबत शिक्षा मंत्रालय ने उच्च शिक्षा के लिए एकमात्र रेगुलेटरी बॉडी ‘नेशनल हायर एजुकेशन रेगुलेटरी अथॉरिटी (एनएचईआरए) या हायर एजुकेशन कमिशन ऑफ इंडिया’ तय किया है.
बता दें कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का निर्माण साल 1986 में किया गया था और 1992 में इसमें मामूली बदलाव किए गए थे. तीन दशक बाद भी अब तक इसमें कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ है. रिपोर्ट्स की माने तो केंद्र सरकार का मानना है कि शिक्षा के क्षेत्र में बड़े स्तर पर बदलाव की जरूरत है ताकि भारत शिक्षा के क्षेत्र में दुनिया भर के मुकाबले वृद्धि कर सके.
शिक्षा के क्षेत्र में वृद्धि के लिए यह जरूरी है कि सभी को अच्छी गुणवत्ता की शिक्षा दी जाये ताकि एक प्रगतिशील और गतिमान समाज बनाया जा सके. यही वजह है कि शिक्षा मंत्रालय अब प्राथमिक स्तर पर दी जाने वाली शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए एक नए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम के रुपरेखा को तैयार कर रहा है. जिसमे छात्रों के रूचि के आधार पर विषयवस्तु होंगे.